Tuesday 23 February 2016


जब तेरे पिता तेरे साथ है

अपने खून से सींचा मैंने नहीं है,
पर अंश तू मेरा है, परया नहीं है…
हु हर पल तेरे साथ मैं नहीं,
पर हु दूर तुझसे मैं नहीं…
तेरे चेहरे पे मुस्कान कई चीज़े दे जाती है,
उसे कमाने में मेरे उम्र निकल जाती है…
शिकायत ये नहीं, मेरे हालत ये है,
तेरे मुस्कान के लिए हे, हर पल हम साथ नहीं है…
बचपन में चुने मंदिर की घंटी को,
उठा लेते थे मेरे कंधे तुझे, उचाई देने को…
उन उचाईयो पे तुझे जो पहोचने है,
कंधो के साथ, यहाँ मुझे भी थकना है…
ममता का अचल नहीं मेरे पास है,
कडवे बोल मेरे, तेरे आगे के रस्ते की मिठास है…
तू सुधरे, तू बिगड़े, ये तक़दीर तेरी, तेरे पास है,
तेरी तक़दीर मेरे नाम की पहचान है…
हु कहता नही मैं हर पल तुझसे जो, प्यार मुझे तुझसे है,
समझेगा तू एक दिन कभी, क्या तेरे पास है…
ममता का आंचल नही ये, लोहे की धार है,
है सब कुछ तेरे पास, जब तेरे पिता तेरे साथ है…

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